एक मेमना था, जो बहुत ही चंचल स्वभाव का था| उसकी मााँ उसे समझाया करती थी की ज़माना ख़राब है और इधर उधर नहीं जाना चाहिए पर वो अपनी माँ की बात नहीं मानता थाI
‘बेटा! अकेले इधर-उधर न जाया कर! ज़माना खराब है|
एक दिन की बात है…वह झरने पर पानी पीने गया और वहा एक भेडिया भी पानी पीने के लिए आ गया|
इस मेमने का मााँस अवश्य ही बहुत मुलायम और स्वाडदष्ट होगा|मुझे इसका शिकार करना चाहिए|लेकिन इसे मारना गलत है क्योंकि जंगल में नया कानून बना है की कोई बिना कारण किसी को नही मार सकता|
उसने उसे मारने के लिए अपनी बुद्धि से एक योजना सोची|अपनी बुद्धि को मूततरूप देने के लिए वह मेमने के पास गयाI
‘यह आप कैसे कह सकते है ? पानी तो आपकी तरफ़ से बहकर मेरी तरफ़ आ रहा है| अतः पानी को तो आप ही गंदा कर रहे है|’