नमस्ते रानी कर्णावती, राजपूत बहादुरी से लड़ रहे हैं लेकिन हम संख्या में कम हैं और हथियार भी कम हैं। हम उन्हें अपनी तलवारों से नहीं लड़ सकते। अगर हम जल्द ही कोई हल नहीं निकालते हैं तो हम सभी युद्ध में मर जाएंगे।
क्या?
अब पछताने से क्या फायदा रानी? अब हमें रास्ता दिखाओ।
यह बहुत कठिन विषय है। मेरे पास इस समय कोई स्वामी नहीं है वरना वह हमारी भूमि से सभी को लड़ा देता। मेवाड़ की सीमा में कोई पैर रखने की हिम्मत नहीं करेगा! बाघ सिंह जी, हमने अपना सब कुछ दुश्मन की आग में कुर्बान कर दिया है।
मैंने एक उपाय सोचा है।
नमस्ते बाग सिंह जी, युद्ध के साथ क्या चल रहा है?
क्या! आप एक मुस्लिम को राखी कैसे भेज सकते हैं?
ठीक है रानी जी, मैं हुमायूँ को राखी भेज दूँगी।
तुम हैरान क्यों हो मुसलमान एक इंसान हैं और उनकी बहनें हैं इसलिए उनके साथ भी सामान्य व्यवहार किया जाना चाहिए। राखी हमारे लिए सारी दुश्मनी जलाकर राख कर देती है। क्या राखी पाकर कोई विरोध कर सकता है?
मैं हुमायूँ को राखी भेजूँगी।
बधाई जहाँपनाह!
मेवाड़ से एक पत्र आया है।
यह क्या है, जहाँपनाह?
क्या है वह?
हुमायूँ के तम्बू में
यह स्वर्गीय महाराणा संग्राम सिंह की रानी कर्णावती का पत्र है। उसने मुझे अपना भाई बनाकर राखी भेजी है। कर्णावती बहन को बताओ, क्या हुआ अगर हुमायूँ तुम्हारी माँ के गर्भ से पैदा नहीं हुआ, तो वह तुम्हारे सगे भाई से कहीं बढ़कर है। कहते हैं कि मेवाड़ की शान हमारी शान है जाओ!
मेवाड़ से? ठीक है इसे यहाँ भेज दो।
हुमायूँ पत्र में डूबा हुआ था
Создано более 30 миллионов раскадровок
Никаких Загрузок, Кредитной Карты и Входа в Систему не Требуется!