बहुत समय पहले, एक लड़का था जो पेट बरने के लिए शिखर करता थ। एक दिन वह पूरी दोपहर शिकार की तलाश में पहाड़ों में भटकता रहा पर उसे कोई भी जानवर दिखाई नहीं दिया। लड़का उदास हो गया और सोचने लगा कि आज शायद उसे खाना नहीं मिलेगा, तभी अचानक उसे आसमान की ओर से कुछ आवाज सुनाई दी।
उसने ऊपर देखा और एक चील को देखा। चील के मुंह में सांप था। चील ने मुँह में सांप को पहाड़ी में बने अपने घोसले में छोड़ा और नए शिखर की तलाश में निकल गया।
लड़का चील के घोसले के तरफ चलने लगा । घोसले के पास पहुंच कर उसने देखा की वह ेख चील का बचा बैठा हुआ ह। उसके सामने मारा हुआ सांप पड़ा हे।
सांप के शरीर में हरकत हुआ और उसने अपना फन ऊपर उठाया।इससे पहले की सांप चील के बचे को काट पाता , लड़के ने अपना तीर निकाला और एक ही निशाने में सांप को ढेर कर दिया। उसने सावधानी से बच्चे को उठाया और अपने घेर के और चलने लगा।
क्योंकि मैंने इसकी जान बचाई है, तुम जिस सांप को मरा हुआ समझ कर घोंसले में छोड़ गईं थीं दरअसल वो जिंदा था और तुम्हारे बच्चे को काटने वाला था !
लड़के ने बच्चे को माँ को दे दिया।
तुम मुझे मेरा बच्चा सौंप दो। बदले में मैं अपनी तीक्ष्ण दृष्टि और शक्तिशाली पंखों से हमेशा तुम्हारी मदद करूंगी !
तुमने मेरे बच्चे को क्यों लय ?
वह अपने घर पहुंचने ही वाला था की चील की माँ निचे आय।
लड़का शिकार और तीरंदाजी में निपुण हो गया। वह एक योद्धा बन गया। तब लोगों ने उन्हें राजा बनाने का फैसला किया। उन्होंने उसका नाम शकाइप रखा। अल्बानियाई भाषा में शकाईप का अर्थ चील होता है।
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