एक दिन की बात है रोहिणी अपने बाल सुखा रही थी और तबी उसे सुनायड़िया-
यह आवाज जानी पहचानी लग रही हैI
किड्स को बहलानेवाला, मिठाईवाला
रोहिणी तुरंत नीचे गई और अपनी दादी के पास मिठाईवाले को रुकने के लिए कहा-
दादी मिठाईवाले को जरा रुकाऊ चुन्नू मुन्नू के लिए मिठाई ले लूंगीI
ठीक है
रुको हमें मिठाई लेनी हैI
अच्छा कैसी दी है?
पैसे की 16 देता हूंI
इतना कम। कम से कम 25 तोह दे देतेI
हा माँ जी क्यू नहीं?
मेरे पास का तरह की मिठाई है। खट्टी मिट और खासी भगनेवाली भी हैI
दादी इससे पुछिये की ये पहली बार शहर हो सकता है कि क्या पहले भी आ गया था
पहले मिठाई बेचते थे क्या और कुछ भी बेचते थे?
बात चित चलती रही...
इतना भी नहीं दे सकता मा जी। कैसे इतने कम दाम में देता हूं वो मुझे ही पता। खेर मई ज्यादा नहीं दे सकता।
ठीक हैIसोलह ही दे दोI
इसे पहले मुरली और उसके पहले खिलौने लेकर आया थाI
पहली बार नहीं और भी कई बार आया हूंI
पहले मेरा भी बड़ा घर था, नौकरी थे, पत्नी थी और सोने जैसे बच्चे, पर मैंने सब खो दिया और मुझे छोटे बच्चों में मेरे बच्चों का एहसास होता है। कामता तो कुछ ज्यादा नहीं पर खाने के लिए कफी है।
ऐसे ही दोनों ने पुछना जारी रखा। और मिठाईवाला दुखी होके बोला-
वह मिठाई उन्हे मुफ्त दे सकता है फिर से मिठाई बेचें के लिए निकलाI