एक दिन शिन औप्ने घर जते वक्त एक कुते से मिलि , उस कुते को देख कर शिन बोलि
येह कुता तो गदा है।
मुझे इस्स जुते को दोच्तोर के पस्स लेजा ना चहिये और सरे कुतो को चेच्क उप के लिये लेज न चहिये ।
येह कैह जब शिन जा रहि थि एक और कुता अया और उस के पिचे दोदा , तोह जिस कुते को उस्ने गन्दा कहा था उस्ने उस्कि जन ब्चइ और उ कुते को चोत लग ग्यि।
वह एक कुते को देख कर शिन को विचा र आया के इस जुते के तरहा भहुत सरे कुते इस शेहेर मे होगे तोह उस्ने उप्ने दोस्त्तोह को कहा
अचहा विचर है
दोस्तोह हुम हुमरे एला के के सभि कुतो को वेत के पस लेये गे और ओउन सरे कुतो को ब्चये गे
नम्सते दोच्तोर
नम्सते ब्चो
सरे ब्चे ओउन कुतो को वेत के पस ले कर गये
दोच्तोर हुम इन कुतो के इला ज करवा ने केलिये आये है
येह तोह बहुत हि अचि बा त है के तुम ब्चो ने इन मसुम कुतो के बरे मेइन सोचा , बहोत हि गर्व कि बत है के आप समज हे है कि जन्वरो मेइन भि जा न है।
येह सुङ्कर सरे ब्चे बहुत हि खुश हुवे और वेत को शुकरिय कर के घर गये , इस कहनि से सिख्ने को मिल त है कि जन्वरो मेइन भि जन है और औन का ध्यन रख्ना जरोरि है।