हरेकाला हजब्बा के अनुसार उस समय उन्होंने खुद को असहाय महसूस किया और प्रण लिया कि वह अपने गाँव के बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ करेंगे ताकि आगे किसी बच्चे को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े l
उन्होंने अपनी सारी मेहनत की कमाई लगाकर साल 1999 में एक मस्जिद में छोटे से स्कूल की शुरुआत की. शुरुआत में कुछ ही बच्चे स्कूल आते थे, लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी.
साल 2004 तक हरेकाला हजब्बा ने और पैसे इकट्ठे किए और स्कूल के लिए एक छोटी सी जमीन खरीदी. हालांकि सारी जमा पूंजी लगाने के बाद वह सिर्फ जमीन ही खरीद सके. उनके पास स्कूल बनवाने के भी पैसे नहीं थे. इसके लिए उन्होंने नेताओं और धनवान लोगों से मदद मांगी.
कई लोगों ने हरेकाला हजब्बा की मदद की तो कई लोगों ने उन्हें दूर से ही दुत्कार दिया. हालांकि थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़कर और लोगों से मदद लेकर हरेकाला हजब्बा ने साल 2004 में ‘दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत उच्च प्राथमिक विद्यालय‘ शुरू किया. बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में 4 शिक्षक थे. आगे चलकर सरकार की तरफ से भी हरेकाला हजब्बा को मदद मिली.
भारत सरकार ने साल 2020 में हरेकाला हजब्बा को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित करने के लिए चुना था. हालांकि कोरोना के कारण उन्हें यह सम्मान साल 2021 में दिया गया.