अब मै बूढ़ा हो गया हु | मै तुम चारो की एक परीक्षा लेना चाहता हूँ और जो इस परीक्षा मै सफल होगा उसे मै राजा बना दूंगा |
तुम चारो राज्य के बाहर जाओ और एक साल के बाद इसी फागुन की पूर्णिमा के दिन वापस आओ| मैं देखूंगा किसने कितने पैसे कमाए और तुम ने क्या कला सिखी। मैं मंत्री की सलाह से जो मुझे तुम में से सबसे योग्य लगेगा उससे मैं अपनी गद्दी दे दूंगा |
चारो बच्चे राज्य के बाहार चले गए |
पुत्र बताओ, तुमने इस एक साल में क्या काम किया और कितना धन कमाया ?
एक साल के बाद चारो बच्चे राज्य लौट आये
राजा ने अपने सबसे बड़े बेटे से पूछा -
सबसे बड़े बेटे ने कहाँ -
पिताजी मुझे लगता है कि राजा के लिए ईमानदारी और परिश्रमी होना बहुत ज़रूरी हैं। इसलिए में एक व्यापारी के घर गया और उसके वहाँ बोरे ढोना का काम किया।मैंने १०० स्वर्ण मुद्राएँ कमाई।
फिर राजा ने अपने दूसरे बेटे से पूछा
दूसरे बेटे ने कहाँ -
पिताजी जब मैं दूसरे राज्य में गया तो मैंने सोचा कि मैं एक राजकुमार हूँ , शत्रिय हूँ। मुझे लगता हैं कि राजा को साहसी और एक लुटेरा होना चाहिए। इसलिए मैंने राज्य में जा कर डाकूओ का एक दाल बनाया और लूट-पाट का काम करने लगा। मैंने ५ लाख स्वर्ण मुद्राएँ कमाई।