बेटा, तुम्हारी बुद्धि पर परदा पड़ा हुआ था जो अब हट गया है | एक ही वर्ष में तुम्हें पर्याप्त विद्या आ गया है |
मुझे ज्ञान दीजिए
धन्यवाद गुरुजी! हमें आज्ञा दीजिए |
बेटा तुम्हें तीन बातों का सदैव ध्यान रखना | पहली रस्ते में अकेला नहीं चलना, किसी-न-किसी को साथी बना लेना | दूसरी, किसी के दिए हुए आसन पर जाँच पड़ताल किए बिना मत बैठना | तीसरी, यदि कोई अपरिचित व्यक्ति कुछ खाने को दे तो पहले जानवर को खिलाना फिर खाना |
जी गुरूजी
उसने देखा की एक चील एक नेवले को लेकर उड़ गई | राजकुमार ने झट एक पत्थर चील पर मारा और चील ने नेवले को छोड़ दिया |
गुरूजी ने बोला था की मार्ग में अकेला नहीं चलना चाहिए | हमे लगता है परमात्मा ने राह के लिए साथी दिया है |
वह दोपहर को एक पाकड़ के पेड़ के नीचे सो गया | जब कोई यात्री वहाँ सोता तो कौआ काँव - काँव करता, उसकी आवाज़ सुनकर सियार आकर चिल्लाता, उसकी आवाज़ सुनकर साँप यात्रीको काट लेता |
जब राजकुमार सो गया तब कौआ, सियार और साँप ने अपनी योजना शुरू की और जब सांप राजकुमार के अंगूठे पर काटने लगा तब नेवले ने साँप को झपटा | नेवले और सांप की लड़ाई हुई और इसकी आवाज़ सुनकर राजकुमर उठ गए |
अहा - हा कया नींद आई थी | यदि नेवले को साथ न लिया होता तो प्राण न बचते |
राजकुमार नेवले को लेकर चल पड़ा | वह एक तालाब के पास रुका और नेवला एक बिल में जा घुसा फिर बहार नहीं आया तो वह वहाँ से चल पड़ा |